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एक और वर्गीकरण …राज्य को अनुसूचित जाति वर्ग मे उपवर्गीकरण का अधिकार …..

एससी-एसटी; कोटे मे कोटा मंजूर, इसमे भी क्रिमीलेयर को लागू करे:सुप्रीम कोर्ट

एससी-एसटी के कोटे मे कोटा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की पीठ ने 6-1 के बहुमत ऐतिहासिक फैसला सुनाया| चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा-एससी-एसटी केटेगरी के भीतर नई सब केटेगरी बनाकर इस श्रेणी मे अति पिछड़ा को अलग कोटा दे सकते है | यानी अब राज्य सरकारों को अधिकार होगा की वे एससी-एसटी वर्ग मे शामिल सभी समुदाय के लिए आरक्षित कोटे मे से जातियों के पिछड़ेपन के आधार पर कोटा तय करे |

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वही जस्टिस बीआर गवई ने कहा है की क्रीमीलेयर को एससी-एसटी पर भी लागू करे | बता दे की अभी ओबीसी आरक्षण मे सालाना 8 लाख रूपए से ऊपर कमाने वाले लोग क्रीमीलेयर के अंदर आते है |

पीठ ने 2004 मे ईवी चित्रैया बनाम आंध्र के मामले मे दिए फैसले को भी रद्द कर दिया | उसमे कहा गया था की राज्य सरकार आरक्षित कोटे मे सब केटेगरी नही बना सकते | ताजा फैसला पंजाब के मामले मे आया | दरअसल पंजाब सरकार ने 2006 मे कानून बनाया था की राज्य मे एससी-एसटी केटेगरी के तहत मिलने वाले आरक्षण मे से 50% पहली प्राथमिकता के तहत वाल्मीकि और मजहबी सिखों को मिलेगी |

इसे पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट मे चुन्नोती दी गई थी | हाईकोर्ट ने 2010 मे इसे रद्द कर दिया | इसके खिलाफ पंजाब सरकार ससुप्रीम कोर्ट पहुंची थी |

ऐतिहासिक फैसले की 4 बड़ी बाते

एससी-एसटी के आरक्षण मे सब-केटेगरी बना सकेंगे राज्य

1 एससी-एसटी मे सब-केटेगरी समानता के सिद्धांत का उल्लघंन नही करते

एससी-एसटी के कोटे मे कुछ जातियों की सब-केटेगरी बनाने मे अनुच्छेद 14 व अनुच्छेद 341 का उल्लघंन नही होता है |

2 आरक्षण एक पीढ़ी तक सीमित करना चाहिए ,दूसरी हकदार न हो

एससी-एसटी की पहली पीढ़ी आरक्षण का लाभ लेकर उच्च स्थिति तक पहुंच गई है तो लाभ दूसरी पीढ़ी को कोटे का हक न दे |

3 क्रीमीलेयर को इस दायरे से बाहर करने के लिए नीति बनानी चाइए …

सरकार को एससी-एसटी श्रेणी के बीच क्रीमीलेयर की पहचान करने व उन्हें दायरे से बाहर करने की नीति भी बनानी चाइए |

4 राज्य सरकारे राजनीतिक लाभ या मर्जी से सब-केटेगरी नही बना सकती

अगर राज्य सरकार मर्जी या राजनीतिक महत्वाकांक्षी से काम करती है तो उसके निर्णय की न्यायिक समीक्षा हो सकती है |

विरोध शुरू ….

एनडीए की सहयोगी लोजपा बोली-फैसले पर फिर सोचे ….लोजपा रामनिवास ने कहा- फैसले पर पुनर्विचार हो,ताकि एससी-एसटी वर्ग मे भेदभाव न हो और वे कमजोर न पड़े |

राजस्थान पर असर :-

16% आरक्षण एससी के 59 समाजो को,2 केटेगरी संभव

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजस्थान मे भी एससी आरक्षण का वर्गीकरण संभव है | सरकारी नौकरियों के साथ-साथ पोलिटिकल रिजर्वेशन पर भी ये जातिया दावेदारी जता सकती है | एक्सपर्ट्स का मानना है की प्रदेश मे एससी मे 59 समाज लिस्टेड है और 16 प्रतिशत आरक्षण राजस्थान मे है | ऐसे मे वर्गीकरण लागू हुआ तो दो या तीन मे आरक्षण का प्रतिशत डिवाइड किया जा सकता है |

आरक्षण का प्रतिशत भी बढ़ाकर देने का का फार्मूला संभव है \ फरवरी 2019 मे ओबीसी की पांच जातियों को अलग से 5 प्रतिशत एमबीसी आरक्षण दिया गया था | ये आरक्षण नौकरियों और शिक्षा मे लागू है | ऐसे मे एससी केटेगरी मे भी ऐसा ही फार्मूला संभव है | विशेषज्ञो की माने तो इसमे प्राथमिकता उन समाजो को मिलेगा जिसे एससी आरक्षण का कम लाभ हुआ है | उधर एससी की अधिक जनसंख्या वाली जगहों पर आरक्षण सीमा बढ़ाने के फ़ॉर्मूले भी है |

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