सहरावत ने बोला – पदक माता-पिता को समर्पित ….
भारत ने पेरिस ओलिंपिक मे छठा मेडल जीत लिया है | रेसलर अमन सहरावत ने फ्री-स्टाइल 57 kg केटेगरी मे प्यूर्टो रिको के डरलिन तुई क्रूज़ को 13-5 से हराया | अमन पहले दौर के बाद 6-3 से आगे रहे | फिर दुसरे राउंड मे बढ़त बनाई|
जीत के बाद अमन ने कहा-यह मेडल माता-पिता और पुरे देश को समर्पित है | उन्होंने 11 साल की उम्र मे माता और पिता को खो दिया था और मौसी के पास रहने लगा |
भारतीय पहलवानों ने लगातार 5 वे ओलिंपिक गेम्स मे भारत को मेडल दिलाया | हमारे पहलवान 2008 के बाद से ओलिंपिक मेडल जीतते आ रहे है | इस मेडल के साथ भारतीय टीम एक सिल्वर और 5 ब्रोंज मेडल जीत चुकी है |
इस खेल ला पहला मेडल 1952 मे केडी जाधव ने दिलाया था | तब से अब तक भारत रेसलिंग मे 8 मेडल जीत चुकी है | इनमे 2 सिल्वर और 6 ब्रोंज शामिल है |
“अमन 11 साल का था जब उसकी माँ दुनिया छोड़कर चली गई | बेटा डिप्रेशन मे न चला जाए,इसलिए पिता ने कुश्ती मे डाल दिया,लेकिन 6 महीने बाद पिता का भी देहांत हो गया |” यह बताते हुए भारत को रेसलिंग का ओलिंपिक ब्रोंज मेडल दिलाने वाले अमन सहरावत की मौसी सुमन की आँखों मे आंसू आ गए |
तुरंत ही वह पुरे भरोसे के साथ कहती है,”अमन के पिता का सपना था की घर मे कोई न कोई पहलवानी करे और भारत के लिए मेडल जीते| अमन ने कहा था पिता का सपना जरुर पूरा करूगा |” अब उन्होंने 21 साल की उम्र मे ओलिंपिक मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया | अमन ने 57 kg केटेगरी मे ब्रोंज मेडल जीता |
कमरे मे गोल्ड मेडल की फोटो …..
अमन रवि दहिया को अपनी inspiration मानते है | दहिया को ही हराकर अमन ने टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई भी किया | दहिया ने टोक्यो ओलिंपिक मे भारत को सिल्वर मेडल दिलाया था | दहिया से ही inspiration लेकर अमन ने अपने कमरे मे गोल्ड मेडल की फोटो टांगी | उन्होंने अपने कमरे मे लिखा है,’आसान होता तो हर कोई कर लेता |’ अब अमन ने वह कारनामा कर दिखाया जो इस ओलिंपिक मे भारत का कोई रेसलर नही कर सका | अमन ने देश को पेरिस ओलिंपिक मे रेसलिंग का पहला मेडल दिलाया | अमन ने शुरुआती 2 मैच जीतकर सेमी फाइनल मे जगह बनाई थी,लेकिन जापान के रेसलर से हारकर उन्हें ब्रोंज मेडल मैच खेलना पड़ा | जापानी रेसलर ने गोल्ड मेडल जीता |
माँ को हार्ट अटैक आया,पिता का बीमारी के कारण देहांत …
माता-पिता को खोने के बाद अमन और उनकी बहिन अपनी मौसी के यहा चले गए | मौसी में दोनों को अपने बच्चो की तरह पाला | सहरावत की मौसी सुमन कहती है, ‘अमन की माँ कमलेश मेरी छोटी बहिन थी | उसे हार्ट अटैक आया था | कमलेश के जाने के गम मे अमन के पापा भी बीमार रहने लगे और 6 महीने बाद अमन और उसकी बहिन को हमको सौप कर चले गए |’
माँ के जाने के बाद उदास ना रहे,इसलिए पिता ने छत्रसाल स्टेडियम भेजा …
अमन का मन बचपन से ही खेलकूद मे लगता था था | वे अपनी मौसी के लड़के दीपक के साथ रनिंग और अखाड़े मे कुश्ती का अभ्यास करते | दीपक बताते है, ” चाचा चाहते थे की घर मे कोई न कोई पहलवानी करे और देश के लिए मेडल जीते | अमन से पहले चाचा और ताऊ के लड़के को रेसलिंग करने भेजा था, लेकिन दोनों नही टिक सके |
कोच ने अपने बगल वाले कमरे मे रखा…
अमन छत्रसाल स्टेडियम मे रहते है | बगल मे कोच ललित का कमरा भी है | ललित कहते है, “मैंने उसे अपने बगल वाले कमरे मे ठहराया , ताकि उसका ध्यान रखा जा सके | वे बताते है की हम लोग उसे घर मे कम ही बात करने देते है | घरवालो को भी कहा है की ये यहा कम आए और कम ही बात करे,ताकि उसे घर और माता-पिता की कम याद आए और वह खेल पर फोकस कर सके |” ललित कहते है की एशियन गेम्स मे मेडल जीतने के बाद उसे स्टाफ रूम दिया | उसमे किचन भी है,ताकि अगर वह अलग से कुछ बनाना चाहे तो बना सकता है |
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