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सही उत्तर – किशनगढ़ चित्रकला शैली
किशनगढ़ शैली (मारवाड़ स्कूल की शैली)-प्रमुख चित्रकार : मोरध्वज निहालचंद, अमीरचंद, धन्ना, भंवरलाल, नानकराम, लालड़ीदास, सूरध्वज, छोटू, बदनसिंह, रामनाथ, सवाईराम, तुलसीदास, सीताराम, मूलराज, भीकमचंद आदि।
किशनगढ़ शैली राजस्थान की एक चित्र शैली है। इस चित्र शैली का विकास महाराजा मानसिंह के काल में हुआ था। लेकिन बनी ठनी चित्र शैली जो किशनगढ़ चित्र शैली की प्रसिद्ध चित्र शैली है। उसका उद्धव महाराज सावंत सिंह के शासनकाल में हुआ था। किशनगढ़ शैली का समृद्ध कल सावंत सिंह के कल को इसका स्वर्ण काल कहा जाता है जो नागरिक दास के नाम से जाने जाते थे। इनका काल 1748 से 1764 तक माना जाता है।
उनकी प्रेरणा उनके दरबार की गायिका और कवि विष्णु प्रिया थी। जो अपनी मनमोहक सुंदरता और बुद्धिमत्ता के लिए जानी जाती थी। बाद में उन्हें प्यार से बनी ठनी कहा जाने लगा जिसका अर्थ है सुशोभित महिला या अच्छी तरह से सजी-धजी महिला।

राजा सावंत सिंह का शासन काल 1748 से 1757 ई था। वह कवि भी थे उन्होंने नगरी दास के नाम से लिखा करते थे। साथी वे वल्लभाचार्य संप्रदाय के एक समर्पित सदस्य भी थे। जो भगवान कृष्ण को उनके दिव्या प्रेमी के रूप में पृथ्वी पर प्रकट होने पर पूजते हैं।
इस शैली के प्रमुख चित्रकार में मोरध्वज निहालचंद माने जाते हैं। जिन्होंने राजस्थान की मोनालिसा कहा जाने वाली बनी ठनी का की पेंटिंग बनाई थी। जबकि अन्य इस चित्र शैली के चित्रकार में अमीरचंद, धना, छोटू, बदन सिंह, सीताराम, नानक राम, रामनाथ, सवाई राम जोशी, लाडली दास इत्यादि प्रमुख चित्रकार थे।
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