UPSC में नहीं होगी सीधी भर्ती लैटरल एंट्री विज्ञापन पर मोदी सरकार ने लगाई रोक

UPSC: केंद्र में रिक्त संयुक्त सचिव निदेशक वह उपसचिव के 45 पदों पर सीधी भर्ती लैटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है यूपीएससी ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी करते हुए 45 से जॉइंट सेक्रेटरी डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियां निकली थी।

सरकार के फैसले पर मचा सियासी बवाल

बता दें कि यूपीएससी ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी करते हुए 45 से जॉइंट सेक्रेटरी डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्ती निकली थी सरकार के इस फैसले पर जमकर सियासी बवाल मचा है कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार आरक्षण पर चोट कर रही है इतना ही नहीं एनडीए के घटक दलों ने भी फैसले की आलोचना की है।

सरकार ने क्यों वापस लिया फैसला?

केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीए अध्यक्ष को लिखे पत्र में बताया कि सरकार ने फैसला लैटरल एंट्री के व्यापक पुनर मूल्यांकन के तहत लिया है पत्र में कहा गया है कि ज्यादातर लैटरल एंट्री 2014 से पहले की थी 2014 से पहले होने वाले लैटरल एंट्री में आरक्षण के बारे में कभी सोचा नहीं गया नेशनल एडवाइजरी काउंसिल पीएमओ को कंट्रोल करती थी।

वही मोदी सरकार का मानना है कि सार्वजनिक नौकरियों में आरक्षण के साथ छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।

पत्र में आगे लिखा गया कि यह पद विशेष है ऐसे में इन पदों पर नियुक्तियों को लेकर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है इसकी समीक्षा और जरूरत के अनुरूप इसमें सुधार की जरूरत है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी का पूरा फोकस सामाजिक न्याय की ओर है।

केंद्रीय मंत्री ने लैटरल एंट्री पर क्या कहा था?

सरकार के इस फैसले पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि एनडीए सरकार ने लैटरल एंट्री को लागू करने के लिए एक पारदर्शी तरीका बनाया है यूपीएससी के माध्यम से पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से भारतीय की जाएगी इस सुधार से प्रशासन में सुधार होगा।

भाजपा ने कहा था कि लैटरल एंट्री का प्रस्ताव कांग्रेस शासन में लाया गया था वहीं मनमोहन सिंह मोंटेक सिंह अहलूवालिया सैम पित्रोदा साड़ी के लोगों को लैटरल एंट्री के जरिए ही कांग्रेस शासन में सरकार का हिस्सा बनाया गया था।