निम्नलिखित में से किसने मनसबदारी व्यवस्था में मशरुत का नियम लागू किया था?

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(A) औरंगजेब

(B) फर्रुखसियर

(C) जहांगीर

(D) शाहजहां

सही उत्तर – औरंगजेब

मशरूत – मनसबदारी व्यवस्था में औरंगजेब ने मसरूत पद छोड़ दिया मसरूत व्यवस्था में विशेष परिस्थितियों में मनसबदार को अतिरिक्त घुड़सवार रखने की छूट दी जाती थी जो मसरुत कहलाती थी। इसमें सवार रैंक में वृद्धि कर दी जाती थी।

मशरूत मुगल साम्राज्य में मानसबदारों को दी गई एक प्रकार की नियुक्ति थी मनसबदार उच्च कोटि के सैन्य अधिकारी होते थे जो शक्ति और अधिकार के पदों पर आसीन होते थे मानसबदारों को उनकी वफादारी को सुरक्षित रखने और साम्राज्य के भीतर उनके पद बनाए रखने के तरीके के रूप में मसरूत आवंटित किया गया था।

मशरुत जागीर किसी व्यक्ति को कुछ शर्तों पर दी जाने वाली जागीर को कहते हैं। यह मुगल साम्राज्य में मनसबदारों को दी जाने वाली एक तरह की सशर्त नियुक्ति थीं। मनसबदार उच्च कोटि के सैन्य अधिकारी होते थे।

मशरूत जागीर की खास बातें:-

  • मशरूत जागीर, मनसबदारों को उनकी वफ़ादारी को सुरक्षित रखने और साम्राज्य में पद बनाए रखने के लिए दी जाती थी।
  • औरंगज़ेब ने मनसब प्रणाली में बदलाव करते हुए मशरूत नामक एक अतिरिक्त रैंक बनाया था। 
  • यह रैंक अस्थायी रूप से मनसबदार के सवार रैंक को बढ़ाने का एक प्रयास था।

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