(A) लक्ष्मण स्वरूप त्रिपाठी
(B) हरिनारायण शर्मा
(C) मास्टर भोलानाथ
(D) सालिग राम
सही उत्तर – हरिनारायण शर्मा ने अलवर रियासत में वाल्मीकि एवं आदिवासी संघ की स्थापना की थी।
हरिनारायण शर्मा को अलवर राज्य में जनजागृति का जनक कहा जाता है।
इनके द्वारा 1923 में अपने परिवार के मंदिरों को हरिजनों के लिए खोला था तथा अस्पृश्यता निवारण संघ ,वाल्मीकि संघ और आदिवासी संघ की स्थापना की अलवर प्रजामंडल की स्थापना 1938 में हुई थी।
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भारत की आजादी के आंदोलन का अलवर जिला अभी साक्षी रहा अलवर राज्य प्रजामंडल ने स्वतंत्रता आंदोलन की जिले में अलग जगह भारत छोड़ो आंदोलन में भी अलवर जिले ने खासी भूमिका निभाई थी राज्य में जन जागृति के अग्रदूत पंडित हरि नारायण शर्मा ने अपने परिवार का मंदिर हरिजन के लिए खोलकर राज्य में तहलका मचा दिया।
वहीं राज्य में किसानों का लगन वृद्धि के विरोध में नीमूचणा में किया गया आंदोलन देश भर में सनसनी फैला गया नीमूचाणा में किसानों पर हुआ नरसंहार अंग्रेजों की हुकूमत की नींव हिलाने वाला साबित हुआ दिल्ली के निकट होने के कारण ब्रिटिश भारत में होने वाले आंदोलन की हवा के झोंके अलवर राज्य के प्रजामंडल को प्रभावित करना स्वाभाविक था वर्ष 1923 में पंडित हरि नारायण शर्मा ने अस्पृश्यता निवारण संघ, वाल्मीकि संघ और आदिवासी संघ की स्थापना की।
उन्होंने खादी व स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादन और उपयोग का प्रचार किया वह नागरिक समितियां के माध्यम से सद्भावना पूर्ण वातावरण बनाया राज्य के हर स्तर पर हिंदी समितियां का गठन कर राष्ट्रभाषा का प्रचार किया इस दौरान शर्मा ने उन गतिविधियों को जारी रखा जो ब्रिटिश भारत में महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्यक्रम की अंग थी जिससे जनता में जागृति आई। तत्कालीन अलवर के शासक पूर्व महाराजा जयसिंह ने भी उनसे प्रभावित होकर राज्य के शासन सुधार और विकास सहित सभी महत्वपूर्ण मामलों में हरि नारायण शर्मा जी का सहयोग लिया।
पंडित हरिनारायण शर्मा की गिरफ्तारी से अलवर की जनता में फैली उत्तेजना अलवर में पैदा हुई हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के प्रमुख नेता भवानी सहाय शर्मा को अप्रैल 1932 में 1818 के बंगाल रेगुलेशन के अंतर्गत गिरफ्तार कर लिया गया, अनिश्चितकालीन ने के लिए दिल्ली में जेल में डाल दिया गया इस घटना से अलवर राज्य की जनता में उत्तेजना फैली।
पंडित हरिनारायण शर्मा को करीब 7 साल जेल में रहने के बाद महात्मा गांधी ने हस्तक्षेप कर मार्च 1939 में रिहा करवाया पूर्व महाराजा जयसिंह को देश से निर्वासित किया ब्रिटिश सरकार ने 1933 में पूर्व महाराजा जयसिंह को उनकी राष्ट्रीय गतिविधियों के कारण ने केवल गद्दी से हटाया गया बल्कि उन्हें देश से भी निर्वाचित कर दिया 19 मई 1937 को उनका संदिग्ध अवस्था में निधन हो गया।
इस दौरान कुछ युवाओं ने अलवर में पुरजन विहार पर तिरंगा फहराया इस ही अलवर में पहली बार आम सभा का आयोजन किया गया जिसमें ब्रिटिश सरकार के फैसले की कूट आलोचना की गई राज्य सरकार ने रातों-रात छापा मार कर आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। इनमें प्रमुख थे हरि नारायण शर्मा, कुंज बिहारी लाल मोदी, पंडित सीताराम, अब्दुल शकूर जमाली, डॉक्टर मुहम्मद अली व लक्ष्मी नारायण सौदागर शामिल थें उन्हें राजद्रोह के अपराध में विभिन्न सजा हुई।

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