केरल मे त्रासदी .... कौन लेगा जिम्मेदारी

पहाड़ से 6 km बहकर आया सैलाब , 123 दफन …

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वायनाड मे 2200 की आबादी वाले 4 गाँव 4 घंटे मे जमीदोज…

बारिश से 3 बार भूस्खलन , सेना ने 1 हजार को बचाया ….

केरल के पर्यटन स्थल वायनाड मे सोमवार -मंगलवार की दरमियानी रात भीषण बारिश आफत बनकर बरसी | रात 1 से सुबह 5 बजे के बीच चोरल पर्वत पर एक के बाद तीन बार भूस्खलन हुआ | इससे पहाड़ के नीचे चैलियार नदी के केचमेंट मे बसे चाय बागान मजदूरों के चार गाँव चुर्लमाला , अट्टामाला,नूलपुझा और मुंडक्क़ई बड़े -बड़े पत्थरों और मिट्टी के मलबे मे दफन हो गए |

करीब 2200 आबादी के 400 से ज्यादा घर कुछ सेकंड मे मलबे का ढेर बन गए | यहाँ दो दिन से भीषण बारिश हो रही थी | यह एरिया भूस्खलन प्रभावित है,इसलिए अनहोनी की आशंका के चलते कही परिवार जाग रहे थे | भूस्खलन की खबर जब वायनाड मुख्यालय पहुचती है ,तब तक 400 से ज्यादा घर तबाह हो चुके थे |

सेना,नौसेना ,वायुसेना,NDRF और केरल डिजास्टर managment अथॉरिटी की मदद से देर रात तक मलबे से 123 शव निकाले जा चुके थे | 128 घायल और 97 लापता है | सेकड़ो लोगों के दबे होने की आशंका है | सेना देर रात तक मलबे से निकाल चुकी थी |

भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण के उप महानिदेशक डॉ सैबल घोष के मुताबिक 2018 के बाद से केरल मे कम समय मे ज्यादा बारिश हो रही है | जो गाँव तबाह हुए,उन तक 6 km दूर पहाड़ से मलबा दो हिस्सों मे बहकर गाँवो तक आ गया | इसलिए सब जमींदोज हो गया | 2019 मे चूरमाला से 5 km दूर पुथमाला गाँव मे इसी तरह का भूस्खलन हुआ था,तब 17 लोगों की मौत हुई थी |

केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन के मुताबिक 3800 लोग 45 राहत केम्पो मे है | थल सेना के 200 जवान वायुसेना के 2 हेलीकाप्टर नेवी के 30 विशेषज्ञ तैराक मलबे मे फंसे लोगों को निकाल रहे है | राज्य मे दो दिन का शोक घोषित किया है | प्रधानमन्त्री ,राष्ट्रपति ने भी घटना पर शोक जताया है,जबकि वायनाड से सांसद रहे राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी बुधवार को मौके पर जायेंगे |

आपदा क्यों …..

2018 से केरल मे कम समय मे ज्यादा बारिश का पैटर्न , 7 साल मे 59.2 % भूस्खलन यही

अरब सागर के गर्म होने से बेहद घने बादल बन रहे है | इससे केरल मे कम समय मे भारी बारिश की घटनाए और भूस्खलन बढ़े है | देश के 80% से 85% भूस्खलन अब केरल मे ही होते है | वायनाड पहाड़ी जिला है और पश्चिमी घाट का हिस्सा है यहाँ 2100 मीटर तक ऊँचे पहाड़ है | मानसून मे यह भूस्खलन के लिए बेहद सवेदनशील है |

जहा घटना हुई वह 2 हफ्ते से बारिश हो रही थी इससे पहाड़ की मिट्ठी ढीली और गीली हो चुकी थी | इसलिए लगातार तीन बार भूस्खलन हुआ | केरल यूनिवर्सिटी के शोध मे पाया गया है की 2018 के मानसून मे अत्यधिक बारिश से यहा 400 लोगों की जान चली गयी थी | तब से राज्य मे कम समय मे ज्यादा बारिश हो रही है इससे भूस्खलन वाले एरिया 3.46% बढ़ गए है | पृथ्वी विज्ञान मत्रालय के मुताबिक 2015 से 2022 तक आए 3782 भूस्खलन मे से 59.2%केरल मे हुए |

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