बांग्लादेश की उथल-पुथल के भारत के लिए क्या है मायने .....

दक्षिण एशिया की प्रभावशाली महिला राजनीतिज्ञों की जब भी बात होती है तो आपको उतनी ही नजर आएगी , जितनी अंगुलियों पर गिनी जा सके | इनमे एक नाम बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमन्त्री शेख हसीना का भी लिया जाता है | उनकी अगुवाई मे पिछले दशक मे बांग्लादेश ने आर्थिक-सामाजिक मापदंडो पर अनेक उल्लेखनीय कार्य किए है | लेकिन इसके बावजूद उन्हें सत्ता से हटना पड़ा है |

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

लेकिन यह सब अचानक से भी नही हुआ | उन पर 2018 से ही विपक्षी पार्टिया को दबाने और उनकी पार्टी अवामी लीग के कई नेताओ पर भ्रष्टाचार के गभीर आरोप लगते रहे है | उन्होंने अपने आलोचकों को बंद करने का प्रयास किया | इस तरह उनके कार्यकाल को कही लोग तानाशाही का प्रतीक मानने लगे थे | इससे जनता भीतर ही भीतर शेख हसीना से नाराज थी | फिर आरक्षण का मुद्दा शेख हसीना सरकार के ताबूत मे अंतिम कील साबित हुआ |

पड़ोस मे एक और ‘विरोधी ‘ सरकार …

भूटान भारत का पारम्परिक मित्र रहा है | इसलिए उसे छोड़ देते है | लेकिन इसके अलावा पड़ोस मे जितने भी देश है,अधिकांश भारत के हितो के प्रति सवेदनशील नही है | पाकिस्तान और म्यांमार मे पहले से ही वे सरकारे है,जो भारत के प्रति सकारात्मक नही रही | कुछ माह पहले मालदीव और फिर नेपाल मे जो सरकारे आई है,वे भी चीन-पस्त है | ऐसे मे बांग्लादेश मे शेख हसीना सरकार ही ऐसी सरकार थी, जो भारत के हितो के अनुरूप थी| अब वहा भी ‘भारत विरोधी सरकार ‘ की आशंका है |

बांग्लादेश का संकट : इन 4 वजहों से भारत भी है चिंतित

1 सांस्क्रतिक आदान-प्रदान के चिन्हों के खात्मे का प्रयास

शेख हसीना सरकार को हटाने के लिए बांग्लादेश मे शुरू हुए छात्रों के प्रदर्शन का रुख अब बदल गया है | इसमे अब साम्प्रदायिक इस्लामिक ताकते भी शामिल हो गई है | वे उन ऐतिहासिक विरासतों और प्रतीकों को भी खत्म करने का प्रयास कर रही है,जो भारत और बांग्लादेश के बीच सांस्क्रतिक आदान-प्रदान के परिचायक रहे है | इससे दोनों देशों के बीच के पांच दशक पुराने सांस्क्रतिक रिश्तो के प्रभावित होने की आशंका है |

2 दोनों देशों के बीच 13 अरब डॉलर का करोबार

बांग्लादेश भारत के लिए हमेशा से एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार रहा है | दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2023-24मे लगभग 13 अरब डॉलर तक पहुंच गया है | इसमे भी भारत का व्यापार करीब 9 अरब डॉलर एक्सेस है,यानि संतुलन भारत के पक्ष मे झुका हुआ है | इसका अर्थ है की बांग्लादेश की मौजूदा राजनितिक अस्थिरता से यह व्यापार प्रभावित हो सकता है और इसका सीधा असर बांग्लादेश के बजाय भारत को ही ज्यादा होगा |

3 भारत के कई प्रोजेक्ट्स मे आ सकता है व्यवधान

भारत ने 2016 के बाद बांग्लादेश की विभिन्न परियोजनाओ मे काफी खर्च किया है | इनमे से अक्खोरा-अगरतला सीमा पार रेल सम्पर्क और खुलना-मोंगला बन्दरगाह रेल लाइन का उद्घाटन पिछले साल नवम्बर 2023 मे किया गया था | इससे भी व्यापार और लोगों के बीच आदान-प्रदान बढ़ने की उम्मीद थी |

4 आतंकवाद पर हसीना सरकार सवेदनशील रही

बांग्लादेश की मौजूदा राजनितिक उथल-पुथल भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और दक्षिण एशिया मे इसके प्रभाव को लेकर चिंता पेश करती है | शेख हसीना सरकार ने सुरक्षा सबंधित भारत की चिन्ताओ को समझा था और इन मुद्दो पर सहयोग भी किया था,खासकर आतंकवाद का मुकाबला करने मे | लेकिन अब वहां वर्तमान मे सरकार का जिस तरह से सेट-अप नजर आ रहा है,उससे भारत के लिए एक प्रकार से कम अनुकूल वातावरण बन सकता है |

Recommended Posts

जाजीवाल धोरा खीर महोत्सव 2024 , शरद पूर्णिमा खीर महोत्सव जाजीवाल धोरा जोधपुर

S.K Bishnoi

जाजीवाल धोरा खीर महोत्सव श्री गुरु जंभेश्वर मंदिर जाजीवाद धोरा में स्वामी भागीरथ दास आचार्य जी के सानिध्य में खीर महोत्सव का आयोजन 16 अक्टूबर […]