बांग्लादेश जल रहा है ..सड़क पर क्यों उतर रहे है छात्र ….

यहाँ के तमाम स्कूल कॉलेज विश्वविधालयो को सरकार के द्वारा बंद किया जा रहा है ,सरकार और विद्यार्थियों के बीच घमासान इतनी बढ़ गयी है की हिंसा का माहौल और अधिक ज्यादा गहरा गया है साथ ही सड़क पर हिसात्मक प्रदर्शन लगातार हो रहे है और इस बीच भारत सरकार के द्वारा ये भी कहा गया है की भारत और भारत के जो भी विद्यार्थी हैं

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जो बांग्लादेश मे रह रहे हैं वो अपना एहतियात बरते और किसी भी स्तर पर कोई ऐसा कदम ना उठाये जिससे उनको कोई नुकसान पंहुचे ..इस तरीके से ऐडवाइजरी जारी की गयी है | लेकिन अब इस पूरी गतिविधि मे यह समझने की जरूरत है की आखिर बांग्लादेश मे इस तरीके से विरोध विद्रोह प्रदर्शन क्यों हो रहे है और हिंसा की जो वजह है वो क्या है सरकार इस मामले मे क्या कुछ निर्णय ले रही हैं सरकार का क्या कुछ स्टैंड है |

क्या है विवाद …

बांग्लादेशी स्वत्रंता सेनानी के पोते -पोती ,नाती -नातिन को सरकारी नौकरी मे आरक्षण बहुत लबे समय से मिल रहा था और इसी आरक्षण के विरोध मे बांग्लादेश मे विद्यार्थियों के द्वारा लगातार प्रदर्शन किये जा रहे थे ,पहले भी इसमे कुछ गतिविधिया देखी गयी थी लेकिन हाल के समय मे इसमे तेजी आयी है और इसी तेजी ने एक हिंसा का रूप धारण कर लिया | इसलिए मुख्य मुद्दा चर्चा का ये है की बांग्लादेशी स्वत्रंता सेनानी के पोते -पोती ,नाती -नातिन को सरकारी नौकरी मे आरक्षण देना बंद करो …अब हम इसे गहराई से समझते है …..

यदि हम इसे timeline के आधार पर समझे तो वर्ष 1971 मे बाग्लादेश एक स्वतंत्र देश के रूप मे उभरा था ..बाग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान से एक स्वतंत्र देश बना इस समय भारत के द्वारा भी इस गतिविधि मे पूरा समर्थन दिया गया था और बाग्लादेश को स्वत्रंता मिली थी उस समय अवामी लीग के महत्वपूर्ण नेतृतव शेख मुजीबुर्रहमान थे और ये ही बाग्लादेश की स्वत्रंता के बाद प्रधानमन्त्री बने थे ….

वर्ष 1972 मे मुजीबुर्रहमान द्वारा इन्ही स्वत्रंता सेनानी के पोते -पोती ,नाती -नातिन को आरक्षण दिया गया |

वर्ष 2018 मे बाग्लादेश की प्रधान्मन्त्री शेख हसीना के द्वारा इस आरक्षण को व्यवस्था को वापस लिया गया |

वर्ष 2021 मे कुछ याचिकाए बाग्लादेश उच्च न्यायालय मे दायर की जाती है और उन याचिकाओ की सुनवाई लगातार 3 वर्षो तक की जाती है …और

वर्ष 2024 मे 1 जुलाई को एक बहुत बड़ा निर्णय उच्च न्यायालय से आता है और कोर्ट ने कोटा व्यवस्था को पुनर्बहाल कर दिया और आरक्षण व्यवस्था पुन: लागू हो गयी और इसके कारण फिर से विद्रोह प्रदर्शन शुरु हो गये लेकिन विद्रोह को शांत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा इस आदेश को निलंबित किया गया ….लेकिन विद्यार्थियों का रोष समाप्त नही हो रहा है हिंसा बढ़ती ही जा रही है …इसी को मध्य नजर रखते हुए बगलादेशी सरकार ने 17 जुलाई को संभी स्कूल सरकारी विधालयो को बंद कर दिया ताकि हिंसा को और अधिक बढ़ावा नही मिल सके ….

बाग्लादेश मे सरकारी नौकरी को अधिक महत्व क्यों दिया जाता हैं

एक आंकड़ा बताता है की वहां पर 3000 सरकारी नौकरियों के लिए लाखो मे उम्मीदवारों द्वारा फॉर्म भरे जाते है और उनकी एक अपेक्षा होती है की उनको भी सरकारी नौकरी मिले लेकिन जब आरक्षण के कारण उनको अपने हक से अलग होना पढता है उनको उनका हक नही मिलता है तो उनको फिर बहुत अधिक दुःख होता है ….वहां की आरक्षण प्रणाली कुछ इस प्रक्रार है जिसमे 30% आरक्षण का लाभ बांग्लादेशी स्वत्रंता सेनानी के पोते -पोती ,नाती -नातिन को मिलता है और इसी कारण ये मामला बहुत अधिक गभीर हो गया है |

जो 26% आरक्षण है मे 1% आरक्षण उन लोगों को दिया जाता है जो की निशक्तजन है और 5% आरक्षण जनजातिय वर्ग लोगों को दिया जाता है और बाकी जो 20 % है आरक्षण महिलाओ को और पिछड़े जिलों के लोग या निवासी है उनको दिया जाता है शेष जो 44% मेरिट के आधार पर दिया जाता है |

विरोध की अन्य वजहें :-

  1. विद्रोहियों को रजाकार कहा जाना :- बगलादेशी pm शेख हसीना द्वारा रजाकार कहा गया , रजाकार एक बहुत ही वीभत्स शब्द वहां पर देखा जाता है दरअसल जिस समय बाग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान के तौर पर जाना जाता था तो पाकिस्तानी नियत्रित स्थापित करने के लिए कुछ ऐसी गतिविधियों को अंजाम दिया गया ताकि वहां के लोगों को टॉर्चर किया जाये मारपीट कर करके नियंत्रित किया जाये इसके लिए पाकिस्तानी स्वय सेवी अर्ध्सेनिक बल का गठन किया गया उन लोगों को रजाकार की संज्ञा दी गयी |
  2. बेरोजगारी : वर्तमान मे बेरोजगारी की स्थिति बहुत बढ़ी हुई है |
  3. आर्थिक हालात:- वर्तमान मे आर्थिक हालात बहुत ही खस्ता है |
  4. भ्रष्टाचार:- भ्रष्टाचार बहुत ही बढ़ा हुआ है | ऐसे मे सरकारी नौकरी ही एकमात्र विकल्प के तौर पर सामने आ रही है ,इस विकल्प के उपर जब ऐसा दिख रहा है की जिसमे 30% आरक्षण का लाभ बांग्लादेशी स्वत्रंता सेनानी के पोते -पोती ,नाती -नातिन को मिल रहा है इसलिए जो हमे चाइये वो हमे मिल नही रहा है और ये हमारे लिए बहुत ही बड़ा नुकसान है और इसी के कारण ये हाल मे इतना बड़ा विद्रोह देखा गया है और ये तनाव और अधिक उभरता गया है |